Thursday 14 August, 2008

वन्दे मातरम्...


' वन्दे मातरम् ' देश-प्रेम का गीत है , प्रत्‍येक देश के राष्‍ट्रगीत में स्‍वाभिमान होता है, वस्तुतः राष्‍ट्रध्‍वज और राष्‍ट्रगीत ही ऐसी प्रेरणा होती है जिसके लिए सारी की सारी पीढियां अपना सर्वस्‍व न्‍यौछावर कर देती हैं। भारत में फांसी पर चढ़ने वाले क्रांतिकारियों के अंतिम शब्‍द होते थे ‘वंदे मातरम्...!

'वन्दे मातरम्' गीत के पहले दो अनुच्छेद सन् 1876 ई० में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने संस्कृत भाषा में लिखे थे। इन दोनों अनुच्छेदों में किसी भी देवी -देवता की स्तुति नहीं है , इनमें केवल मातृ-भूमि की वन्दना है । सन् 1882 ई० में जब उन्होंने 'आनन्द- मठ' नामक उपन्यास बॉग्ला भाषा में लिखा तब इस गीत को उसमें सम्मिलित कर लिया तथा उस समय उपन्यास की आवश्यकता को समझते हुए उन्होंने इस गीत का विस्तार किया परन्तु बाद के सभी अनुच्छेद बॉग्ला भाषा में जोड़े गए। इन बाद के अनुच्छेदों में देवि दुर्गा की स्तुति है ।

सन् 1896 ई० में कांग्रेस के कलकत्ता ( अब कोलकता ) अधिवेशन में, रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने इसे संगीत के लय साथ गाया । श्री अरविंद ने इस गीत का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया तथा आरिफ मोहम्मद खान ने इसका उर्दू भाषा में अनुवाद किया है। तत्र दिनांक - 07 सितम्बर सन् 1905 ई० को कॉग्रेस के अधिवेशन में इसे 'राष्ट्रगीत ' का सम्मान व पद दिया गया तथा भारत की संविधान सभा ने इसे तत्र दिनांक- 24 जनवरी सन् 1950 ई० को स्वीकार कर लिया । डॉ० राजेन्द्र प्रसाद (स्वतन्त्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति ) द्वारा दिए गए एक वक्तव्य में 'वन्दे मातरम्' के केवल पहले दो अनुच्छेदों को राष्टगीत की मान्यता दी गयी है क्योंकि इन दो अनुच्छेदों में किसी भी देवी - देवता की स्तुति नहीं है तथा यह देश के सम्मान में मान्य है ।

यह मधुर गीत विश्व का दूसरा सबसे लोकप्रिय गीत है (बी बी सी ने अपनी 70वीं वर्षगांठ पर एक सर्वे कराया था जिसके परिणाम की घोषणा 21 दिसम्बर सन् 2002 ई० में की गयी थी)। आईये हम गगनभेदी आवाज़ में इसे पुनः गाकर अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दें :--

वन्दे मातरम् !

सुजलाम् सुफलाम् मलयज-शीतलाम् ,

शस्यश्यामलाम् मातरम् !

शुभ्रज्योत्स्ना पुलकितयामिनीम्

फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्

सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्

सुखदाम् वरदाम् मातरम् !

वन्दे मातरम् ...!

15 comments:

Ashish Khandelwal said...

बिल्कुल सटीक लिखा है आपने..

Sumit said...

मेरी नज़र मैं तो ‘वन्‍दे मातरम्’ ऐसा गीत है जिसे सुनकर देशप्रेम की भावना उद्दीप्‍त होती है और भारतीय होने के गौरव की अनुभूति से धमनियों व‍ शिराओं में रक्‍त-संचार तेज़ हो जता है।

राजन् said...

हमारी मातृभूमि, कोई मिट्टी का ढेर नहीं, वह जड़ या अचेतन नहीं,इस भूमि को हम माता के रूप में देखते हैं, अत: 'वन्दे मातरम्' कहने में हमें गर्व का अनुभव होता है। यह भूमि जिसका वन्दन, स्वतन्त्रता के उद्धोषक कवि बंकिमचंद्र ने अपने अमर गीत ''वन्दे मातरम्' में किया है, सहस्रों युवा हृदयों को स्फूर्त कर स्वतन्त्रता हेतु आनन्दपूर्वक फाँसी के तख्ते पर चढ़ने की प्रेरणा दी है।

दिवाकर प्रताप सिंह said...

'वन्‍दे-मातरम्' मातृभूमि की वन्‍दना है और माँ की पूजा किसी भी धर्म में अपराध नहीं है। हमारे पुरखे जब आजादी के लिये संघर्ष कर रहे थे तो 'वन्‍दे-मातरम्' ही उनका नारा था। हमें गर्व है कई मुसलमानों ने इसे गाया और मेरे देश को आजादी दिलायी। यह गीत हमें हमेशा इन शहीदों की याद दिलाता है। मुझे गर्व है 'वन्‍दे-मातरम्' पर और हम इसका सहर्ष गायन करेंगे।
"जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपी गरीयसी"

सभी को स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई!
जय हिंद...!

Anita kumar said...

बहुत बढ़िया जानकारी दी आप ने , हमारा भी पसंदीदा गीत है जी। अभी अभी पंगेबाज जी के ब्लोग पर लय में सुन कर आ रहे है और आनंदमठ देख कर आ रहे हैं

Anwar Qureshi said...

आप को आज़ादी की शुभकामनाएं ...

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाह.. वाह...
बेहतर जानकारी के साधुवाद...

अपर्णा शुक्ला said...

जानकारी बढ़ाई है आपके लेख ने। अच्छा है लिखते रहिए।

तपन शर्मा Tapan Sharma said...

क्या बात है सोनाली जी,
आपने मेरे लेख पर पोस्ट करी तो मैं आपके इस ब्लाग पर आया... मुझे नहीं पता था कि यहाँ भी मुझे वंदेमातरम का ही नारा लगाते हुए पोस्ट मिल जायेगा..
वंदेमातरम

Anonymous said...

vande matram
mujhe garv hai ki mai ek bhartiy hu

Harihar said...

कुछ बुद्धिजीवियों का तर्क है हम हिन्दुओं को भारत को माता की छवि में देखना बहुत पसन्द है क्योंकि मूर्तिपूजा हमारे अंतस में है ( तभी तो "वन्दे मातरम" प्रसिद्ध हुआ ) जब कि इस्लाम मूलत:
मूर्तिपूजा के खिलाफ़।
चलो, भारत को माता के रूप में मत देखो। "वन्दे मातरम" मुहँ से मत बोलो । पर इस गीत के
सम्मान में चुपचाप खड़े रहने में भी आपत्ति है तो
यह किसी और गहरी आपत्ति की ओर इंगित करती
है

संगीता तोमर said...

wah-wah

Anonymous said...

आज की पीढ़ी को ये जानकारियां हों इसके प्रयास आप की ही तरह सभी को करने चाहिएं।

Sumit Pratap Singh said...

सादर नमस्कार!

कृपया निमंत्रण स्वीकारें व अपुन के ब्लॉग सुमित के तडके (गद्य) पर पधारें। "एक पत्र आतंकवादियों के नाम" आपकी अमूल्य टिप्पणी हेतु प्रतीक्षारत है।

prakharhindutva said...

आप जैसे भारतीयों के लिए ही मैंने अपने ब्लॉग का शुभारम्भ किया है। कृपया पधार कर कृतार्थ करें

www.prakharhindu.blogspot.com