
आज जो कविता आप सब के सामने है इसके रचनाकार है स्व-नाम-धन्य श्रीयुत् दिवाकर प्रताप सिंह। (आप हमारे सीनियर, संमान्य मित्र, गाइड तथा गुरु भी हैं ) प्रस्तुत कविता उन्होंने अपनी धर्मपत्नी के लिये विवाह से पूर्व लिखा था । कविता का जितना अंश मुझे याद है, उसका लोकार्पण आज मैं कर रही हूँ । आदरास्पद् भाभीजी अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर इसे मेरी ओर से भेंट समझें ।
प्रतिप्रश्न
क्यों अधर तुम्हारे कम्पित हैं ?
वह हँसी पुरानी कहाँ गई ?
मज़नू पागल-सा क्यों तड़पा ,
लैला बन कर सोंचा है कभी ?
आँसू की गरमीं गई कहाँ ?
क्यों बर्फ-सी ठंडी साँस हुई ?
अपनी चाहत क्यों भुला गई ?
क्यों भीड़ में हो तुम एकाकी ?
अनुशासन सारा गया कहाँ ?
क्यों अपनी सुध-बुध भुला गई ?
तकिये में मुँह क्यों छुपा लिया ?
किसकी यादें फिर रुला गईं ?
राधा-सी पैंजनी झंकृत कर ,
मुरली तुम क्यों बजवाती हो ?
क्यों पत्र लिखा वैदर्भी* -सा ,
फिर पाँचञ्जन्य बजवाती हो ?
वैदर्भी = विदर्भ की राजकुमारी रुक्मणी जी।
प्रतिप्रश्न
क्यों अधर तुम्हारे कम्पित हैं ?
वह हँसी पुरानी कहाँ गई ?
मज़नू पागल-सा क्यों तड़पा ,
लैला बन कर सोंचा है कभी ?
आँसू की गरमीं गई कहाँ ?
क्यों बर्फ-सी ठंडी साँस हुई ?
अपनी चाहत क्यों भुला गई ?
क्यों भीड़ में हो तुम एकाकी ?
अनुशासन सारा गया कहाँ ?
क्यों अपनी सुध-बुध भुला गई ?
तकिये में मुँह क्यों छुपा लिया ?
किसकी यादें फिर रुला गईं ?
राधा-सी पैंजनी झंकृत कर ,
मुरली तुम क्यों बजवाती हो ?
क्यों पत्र लिखा वैदर्भी* -सा ,
फिर पाँचञ्जन्य बजवाती हो ?
वैदर्भी = विदर्भ की राजकुमारी रुक्मणी जी।
8 comments:
अच्छी कविता है - 'तकिये में मुँह क्यों छुपा लिया? किसकी यादें फिर रुला गईं? 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है, अब जरूरी है कि साल में एक दिन पुरुष दिवस भी हो।
अच्छी कविता है।
बहुत ख़ूब सोनाली,बहुत ख़ूब!!अच्छी कारीगरी कर रही हो! तुम्हारे ब्लॉग पर मेरी कविता!क्या सोंचती हो,तुम्हारी भाभी खुश हो जायेगी? अरे!इतना सरल न समझो अपनी भाभीजी को! अगर तुम आग उगलती हो तो वह बिजलियाँ गिराती है। वह कैसे खुश होती है यह तो हमीं जानते हैं!वैसे'ब्लागर्स-जगत' में स्वागत है।
कविता तो बढ़िया है लेकिन कविता से भी बढ़िया लगा आपका परिचय जो आपने लिख रखा है।
शुभकामनाओं के स्वागत है हिंदी ब्लॉगजगत में!!
वैसे "आदरास्पद" का अर्थ मुझे समझाईएगा।
और हां कमेंट बॉक्स में ये वर्ड वेरीफिकेशन का ऑप्शन हटाईए बेहतर रहेगा!!
भूल सुधार
शुभकामनाओं के साथ*
स्वागत है............
स्वागत है ब्लॉग की इस दुनिया में
अच्छी कविता है.....
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