कहते हैं कि खरबूजे को देख कर खरबूजा रंग बदलता है, तो लोगों के ब्लॉग को देख-पढ़ कर हमनें भी 'ब्लॉग' बनाने की सोंची - अतएव ब्लॉग का प्रथम उद्देश्य हुआ "स्वान्तः सुखाय" ! .......... फिर एक प्रश्न मन में कौंधा कि ब्लॉग का नाम क्या हो ?
मन में ख्याल आया कि बड़ी भाभी कहती हैं कि तुम जब भी बोलती हो , तो एकदम से आग उगलती हो, सो हमें ब्लॉग का नाम SPEAK-UP अर्थात् खरी-खरी सुनाना ( स्पष्ट -बोलना) ठीक लगा। 'गूगल' महराज को यह नाम पसन्द ही नहीं आया और हम नाम बदलने को नहीं तैयार ! फिर क्या , कुछ देर के बाद हमारे 'मूड' को भाँप कर गूगल महराज ने सन्धि कर ली और हम भी आ गये ब्लागर्स-जगत में ! कितना अच्छा लगता है न कि यहाँ हमीं लेखक, हमीं सम्पादक तथा हमीं प्रकाशक भी हैं ।
अब आप लोगों से अपने मन की बातें शेयर करूँगी और आप लोगों के स्नेह्-सौहार्द के बल पर ब्लॉग लिखती रहूँगी । तो फिर मिलते हैं ... बाय..........
4 comments:
फिर कब आओगी, लिखो कब आओगी....स्वागतम्
सोनाली जी आप का स्वागत है, आप मेरे ब्लोग पर आयीं अच्छा लगा आप का ई-मेल पता ढूंढते आई मिला नहीं इस लिए यहीं धन्यवाद दे रही हूँ, कृप्या अपना ई-मेल पता दिजिएगा, कविता बड़िया है, आप का प्रोफ़ाइल पड़ा, विविध रूपों के बारे में पढ़ा आशा है कि सब का रसावादन करने का मौका मिलेगा…:)
हिन्दी चिट्ठाजगत में स्वागत है।
स्वागतम। परिचय बड़ा धांसू है।
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