Wednesday, 19 November 2008

महाराष्ट्र में 90 फीसदी जॉब स्थानीय लोगों के पास

महाराष्ट्र में ' बाहरी ' लोग स्थानीय लोगों से जॉब छीन रहे हैं, इस विषय पर राजनीति गरमाई हुई है, लेकिन आंकड़े बिल्कुल अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं। खुद महाराष्ट्र सरकार के रेकॉर्ड बताते हैं कि करीब 1।6 लाख कुटीर, छोटे और मध्यम दर्जे के उद्योगों की इकाइयां हैं, जो मिलकर लगभग 10।86 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं। इनमें से 91 % नान सुपरवाइज़री पॉजिशन के और 97 % सुपरवाइज़री पॉजिशन वाले जॉब्स पर स्थानीय लोगों का कब्जा है।

राज्य में बड़े स्तर के उद्योगों की 3,435 युनिट्स हैं, जो 5।83 लाख लोगों को जॉब देती हैं। इनमें से 88 % स्टाफ बिना निगरानी वाली कैटिगरी में और 78.7 % स्टाफ निगरानी वाले पोस्ट पर स्थानीय लोग ही हैं। ये आंकड़े साफ बयां कर रहे हैं कि लोकल टैलंट को हाशिये पर रखने की बात गलत है। संकुचित और अवसरवादी राजनीति का आलम यह है कि महाराष्ट्र में राज ठाकरे और एमएनएस से लेकर शिवसेना व कांग्रेस तक आपसी प्रतिद्वंद्विता के चलते भूमि पुत्र का कार्ड खेलने को मजबूर हुईं।

सोमवार को विलासराव देशमुख सरकार ने बार-बार पुरानी गवर्नमन्ट के रेज़लूशन को दोहराया कि सुपरवाइज़री पॉजिशन पर 50% और जूनियर लेवल के जॉब में 80% सीटों पर स्थानीय लोगों को तरजीह दी जाए। ऐसा छोटे से बड़े सभी स्तर की औद्योगिक इकाइयों के लिए होना चाहिए। यहां स्थानीय का मतलब उन लोगों से हैं, जो 15 सालों से महाराष्ट्र में रह रहे हैं। इन आंकड़ों की जानकारी टाइम्स ऑफ इंडिया को स्टेट इंडस्ट्री डिपार्टमंट से मिली। { संजीव शिवादेकर }
नवभारत टाईम्स से साभार

2 comments:

Unknown said...

कितनी शर्म की बात है कि ग़लत तस्वीर पेश करके राज ठाकरे और महा सरकार ने नफरत का इतना जहर फैलाया कि बेचारे कई निर्दोष नागरिकों को जान से हाथ धोना पड़ा. किसको सजा मिलनी चाहिए इन अपराधों की?

राजन् said...

राजस्थान के कवि जागेश्वर गर्ग की ये पंक्तियां आज के माहौल पर सटीक टिप्पणी करती हैं-
मौन शंकर, मौन चंडी, देश में हो रहे हावी शिखण्डी !