महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने मई माह में अग्रिम सीमावर्ती अपनी पंच दिवसीय यात्रा के समय 'बारामुला' में जवानों को सम्बोधित करते समय कहा कि सीमा पर फायरिंग करने वालों को मुँहतोड़ ज़वाब दिया जायेगा । इस यात्रा के दौरान ए के -47 रायफल हाथ में उठायी हुयी राष्ट्रपति महोदया के चित्र पर वहाँ की स्थानीय पार्टी( नेशनल कांफ्रेस) के नेता उमर अब्दुल्लाह् ने अपने ब्लॉग पर नाराज़गी जताते हुए लिखा कि मुस्कराते हुए हथियार नहीं उठाया जा सकता ! वस्तुतः उमर अब्दुल्लाह् जैसे नेता ने कभी भी भारतीय संस्कृति को समझने की कोशिश ही नहीं की अन्यथा उन्हें यह पता होता कि "...चित्ते कृपा समरनिष्ठुरता च दृष्टा " का वर्णन माँ दुर्गा हेतु 'सप्तशती' में लिखा है और श्रीराम-रावण युद्ध में भी रघुनाथ जी के मुस्कराने का वर्णन करते हुए गो० तुलसीदास ने लिखा है - प्रभु मुस्काहिं देखि अभिमाना। धनुष उठाइ बान सन्धाना ।।
Saturday, 7 June 2008
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2 comments:
सत्य लिखा है आपने, हमारी सभ्यता का बेहतरीन उदाहरण के साथ चित्रण। मानवीय सम्वेदना के बिलकुल उलट हुए जा रहे समाज मे सचमुच हमारी संसकृती का चित्रण। ये अब्दुल्ला जैसै लोग ही हैं जो भारतीय सभ्यता से अनजान हैं।
आपकी लेखनी बेहतरीन है।
नमस्कार !
आपकी सिंहंगर्जन शैली और आपके ब्लोग में विचरते काफी देर हो गयी है..सो चलता हूँ परंतु चलने से पहले धन्यवाद स्वीकार करें सिहावलोकन होता रहे ऐसी शुभकामनायें क्यूकि किसी भी क्रिया के लिये उत्प्रेरक चाहिये होता है जो काम आप ब-खूबी इस ब्लोग के धरातल से कर रहे हैं..
पुनः बहुत बहुत धन्यवाद..
भूपेन्द्र राघव
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